छत्तीसगढ सूचना का अधिकार मंच
Thursday, July 14, 2011
Thursday, July 7, 2011
Saturday, July 2, 2011
Friday, July 1, 2011
Thursday, June 30, 2011
सोनिया गांधी की यात्रा का खर्च 1850 करोड़
इतना खर्चा तो प्रधानमंत्री का भी नहीं है : पिछले तीन साल में सोनिया की सरकारी ऐश का सुबूत, सोनिया गाँधी के उपर सरकार ने पिछले तीन साल में जीतनी रकम उनकी निजी बिदेश यात्राओ पर की है उतना खर्च तो प्रधानमंत्री ने भी नहीं किया है ..एक सुचना के अनुसार पिछले तीन साल में सरकार ने करीब एक हज़ार आठ सौ अस्सी करोड रूपये सोनिया के विदेश दौरे के उपर खर्च किये है ..कैग ने इस पर आपति भी जताई तो दो अधिकारियो का तबादला कर दिया गया .
अब इस पर एक पत्रकार रमेश वर्मा ने सरकार से आर टी आई के तहत निम्न जानकारी मांगी है :
1. सोनिया के उपर पिछले तीन साल में कुल कितने रूपये सरकार ने उनकी विदेश यात्रा के लिए खर्च की है ?
2. क्या ये यात्राये सरकारी थी ?
3. अगर सरकारी थी तो फिर उन यात्राओ से इस देश को क्या फायदा हुआ ?
4. भारत के संबिधान में सोनिया की हैसियत एक सांसद की है तो फिर उनको प्रोटोकॉल में एक राष्ट्रअध्यछ का दर्जा कैसे मिला है ?
5. सोनिया गाँधी आठ बार अपनी बीमार माँ को देखने न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में गयी जो की उनकी एक निजी यात्रा थी फिर हर बार हिल्टन होटल में चार महगे सुइट भारतीय दूतावास ने क्यों सरकारी पैसे से बुक करवाए ?
6. इस देश के प्रोटोकॉल के अनुसार सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही विशेष विमान से अपने लाव लश्कर के साथ विदेश यात्रा कर सकते है तो फिर एक सांसद को विशेष सरकारी विमान लेकर विदेश यात्रा की अनुमति क्यों दी गयी ?
7. सोनिया गाँधी ने पिछले तीन साल में कितनी बार इटली और वेटिकेन की यात्राये की है ?
मित्रों कई बार कोशिश करने के बावजूद भी जब सरकार की ओर से कोई जबाब नहीं मिला तो थक हारकर केंद्रीय सुचना आयोग में अपील करनी पड़ी.
केन्द्रीय सूचना आयोग प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय के गलत रवैये से हैरान हो गया .और उसने प्रधानमंत्री के उपर बहुत ही सख्त टिप्पडी की
1. केन्द्रीय सूचना आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर उस पर खर्च हुए पैसे को सार्वजनिक करने को कहा है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को इसके निर्देश भी दिए हैं। हिसार के एक आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से सोनिया गांधी के विदेशी दौरों, उन पर खर्च, विदेशी दौरों के मकसद और दौरों से हुए फायदे के बारे में जानकारी मांगी है।
2. 26 फरवरी 2010 को प्रधानमंत्री कार्यालय को वर्मा की याचिका मिली, जिसे पीएमओ ने 16 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय को भेज दिया। 26 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय ने याचिका को संसदीय कार्य मंत्रालय के पास भेज दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय के इस ढ़ीले रवैए पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सूचना आयुक्त सत्येन्द्र मिश्रा ने निर्देश दिया कि भविष्य में याचिका की संबंधित मंत्रालय ही भेजा जाए। वर्मा ने पीएमओ के सीपीआईओ को याचिका दी थी। सीपीआईओ को यह याचिका संबंधित मंत्रालय को भेजनी चाहिए थी।
आखिर सोनिया की विदेश यात्राओ में वो कौन सा राज छुपा है जो इस देश के ” संत ” प्रधानमंत्री इस देश की जनता को बताना नहीं चाहते ? !
अब इस पर एक पत्रकार रमेश वर्मा ने सरकार से आर टी आई के तहत निम्न जानकारी मांगी है :
1. सोनिया के उपर पिछले तीन साल में कुल कितने रूपये सरकार ने उनकी विदेश यात्रा के लिए खर्च की है ?
2. क्या ये यात्राये सरकारी थी ?
3. अगर सरकारी थी तो फिर उन यात्राओ से इस देश को क्या फायदा हुआ ?
4. भारत के संबिधान में सोनिया की हैसियत एक सांसद की है तो फिर उनको प्रोटोकॉल में एक राष्ट्रअध्यछ का दर्जा कैसे मिला है ?
5. सोनिया गाँधी आठ बार अपनी बीमार माँ को देखने न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में गयी जो की उनकी एक निजी यात्रा थी फिर हर बार हिल्टन होटल में चार महगे सुइट भारतीय दूतावास ने क्यों सरकारी पैसे से बुक करवाए ?
6. इस देश के प्रोटोकॉल के अनुसार सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही विशेष विमान से अपने लाव लश्कर के साथ विदेश यात्रा कर सकते है तो फिर एक सांसद को विशेष सरकारी विमान लेकर विदेश यात्रा की अनुमति क्यों दी गयी ?
7. सोनिया गाँधी ने पिछले तीन साल में कितनी बार इटली और वेटिकेन की यात्राये की है ?
मित्रों कई बार कोशिश करने के बावजूद भी जब सरकार की ओर से कोई जबाब नहीं मिला तो थक हारकर केंद्रीय सुचना आयोग में अपील करनी पड़ी.
केन्द्रीय सूचना आयोग प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय के गलत रवैये से हैरान हो गया .और उसने प्रधानमंत्री के उपर बहुत ही सख्त टिप्पडी की
1. केन्द्रीय सूचना आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर उस पर खर्च हुए पैसे को सार्वजनिक करने को कहा है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को इसके निर्देश भी दिए हैं। हिसार के एक आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से सोनिया गांधी के विदेशी दौरों, उन पर खर्च, विदेशी दौरों के मकसद और दौरों से हुए फायदे के बारे में जानकारी मांगी है।
2. 26 फरवरी 2010 को प्रधानमंत्री कार्यालय को वर्मा की याचिका मिली, जिसे पीएमओ ने 16 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय को भेज दिया। 26 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय ने याचिका को संसदीय कार्य मंत्रालय के पास भेज दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय के इस ढ़ीले रवैए पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सूचना आयुक्त सत्येन्द्र मिश्रा ने निर्देश दिया कि भविष्य में याचिका की संबंधित मंत्रालय ही भेजा जाए। वर्मा ने पीएमओ के सीपीआईओ को याचिका दी थी। सीपीआईओ को यह याचिका संबंधित मंत्रालय को भेजनी चाहिए थी।
आखिर सोनिया की विदेश यात्राओ में वो कौन सा राज छुपा है जो इस देश के ” संत ” प्रधानमंत्री इस देश की जनता को बताना नहीं चाहते ? !
Wednesday, June 29, 2011
सूचना नहीं दी, जुर्माना
रायपुर। आरटीआई कार्यकर्ताओं को सूचना नहीं देने की शिकायत को मुख्य सूचना आयुक्त सरजियस मिंज ने गंभीरता से लिया। जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पर सात हजार रूपए का अर्थदंड लगाया है। इतना ही नहीं उन्होंने अपील करने वाले को अपने सामने सूचना उपलब्ध कराई।
जगदीश जैन ने जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और जनसूचना अधिकारी से मांगी थी। राज्य सूचना आयोग में अपील के दौरान जन सूचना अधिकारी उपस्थित नहीं हुए और जानकारी भी नहीं दी। साथ ही कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया। आयोग ने सात हजार रूपए का जुर्माना ठोंका। साथ ही तत्काल अपीलार्थी को मांगी गई सूचना उपलब्ध कराई गई।
सरायपाली के खम्हारपाली परिवहन चेक पोस्ट के प्रभारी अधिकारी के खिलाफ पांच हजार रूपए का अर्थदंड पारित किया है। साथ ही दस दिन के भीतर सही जानकारी उपलब्ध करने के निर्देश दिए हैं। अपीलार्थी हाजी मोहम्मद रफीक ने चेक पोस्ट के जरिए वाहनों के विरूद्ध की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें आधी-अधूरी और भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराई।
जगदीश जैन ने जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और जनसूचना अधिकारी से मांगी थी। राज्य सूचना आयोग में अपील के दौरान जन सूचना अधिकारी उपस्थित नहीं हुए और जानकारी भी नहीं दी। साथ ही कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया। आयोग ने सात हजार रूपए का जुर्माना ठोंका। साथ ही तत्काल अपीलार्थी को मांगी गई सूचना उपलब्ध कराई गई।
सरायपाली के खम्हारपाली परिवहन चेक पोस्ट के प्रभारी अधिकारी के खिलाफ पांच हजार रूपए का अर्थदंड पारित किया है। साथ ही दस दिन के भीतर सही जानकारी उपलब्ध करने के निर्देश दिए हैं। अपीलार्थी हाजी मोहम्मद रफीक ने चेक पोस्ट के जरिए वाहनों के विरूद्ध की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें आधी-अधूरी और भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराई।
Tuesday, June 28, 2011
कागजों में तालाब, जमीन पर सूखा
रायपुर। निस्तार की भूमि के कब्जों पर सख्त सुप्रीमकोर्ट को तालाबों की स्थिति के बारे में आधी-अधूरी जानकारी भेजी गई है। राज्य शासन ने सुप्रीमकोर्ट को जो शपथ-पत्र भेजा है, उसमें रायपुर समेत प्रदेश के ज्यादातर तालाब पूर्ववत और खरे दर्शाए गए हैं। लेकिन, सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत निकाले गए पटवारी रिकॉर्ड से इसकी पोल खुल गई। बानगी के तौर पर, रायपुर शहर के 31 सरकारी तालाबों में से 14 का पूरी तरह से अस्तित्व खत्म हो चुका है। बचे हुए आधे से ज्यादा तालाब पट चुके हैं। छह निजी तालाबों में से भी दो पट चुके हैं। राज्य के अन्य जिलों के तालाबों की हालत भी कमोबेश यही है।
जमीन के पुराने दस्तावेजों
और पटवारी के मौजूदा रिकॉर्ड में तालाबों पर कब्जों की स्थिति में बड़ा अंतर है। भू-माफियाओं ने तालाबों को खत्म करने का कुत्सित प्रयास किया। फिर भी शासन उनके बचाव में खड़ा है। सुप्रीमकोर्ट को भेजे गए ब्योरे में गलत जानकारी दी गई है।
शासन ने 1934 और उसके बाद के पुराने रिकॉर्ड के आधार पर तालाबों की जानकारी भेजी है। जबकि आरटीआई के तहत हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार आधे से ज्यादा तालाब अब मौके पर नहीं है। इसकी वजह से तालाबों को पाटकर कॉलोनी, कॉम्प्लेक्स अथवा झुग्गी बसाने वालों को साफ बच निकलने का मौका मिल जाएगा।
राजस्व अमला बेचैन
कोर्ट के संज्ञान लेने के कारण सभी राज्यों का राजस्व अमला बेचैन है। जब-जब भी कोई राज्य अपना शपथ-पत्र कोर्ट में प्रस्तुत करता है तब राज्य के प्रतिनिधि के तौर पर एक अधिकारी को वहां हाजिरी लगानी होती है। हालांकि, राज्य की ओर से अब भी कुछ जिलों की जानकारी नहीं भेजी गई। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की ओर से सौंपे गए शपथ-पत्र में ढाई लाख एकड़ जमीन पर कब्जे स्वीकार किए गए हैं। साथ ही इन्हें वापस कब्जामुक्त करने की कारगर नीति तैयार की जा रही है।
लगाएंगे याचिका
सामाजिक संगठन इस मामले में पहल करेंगे। पट चुके तालाबों को कब्जामुक्त कराने के सम्बंध में हाईकोर्ट में याचिका लगाएंगे। संगवारी संस्था के राकेश चौबे का कहना है कि निस्तार की जमीन को भू-माफिया के चंगुल से मुक्त कराना जरूरी है।
तालाबों को पाटे जाने के सम्बंध में फिजिकल वैरिफिकेशन कराया जाएगा। जो कब्जा अनधिकृत पाया जाएगा, उसको हटाने अथवा तालाबों को उनके वास्तविक स्वरूप में लाने की प्रक्रिया की जाएगी।
सुनील कुजूर, प्रमुख सचिव, राजस्व
गोविंद ठाकरे (राजस्थान पत्रिका रायपुर से साभार)
जमीन के पुराने दस्तावेजों
और पटवारी के मौजूदा रिकॉर्ड में तालाबों पर कब्जों की स्थिति में बड़ा अंतर है। भू-माफियाओं ने तालाबों को खत्म करने का कुत्सित प्रयास किया। फिर भी शासन उनके बचाव में खड़ा है। सुप्रीमकोर्ट को भेजे गए ब्योरे में गलत जानकारी दी गई है।
शासन ने 1934 और उसके बाद के पुराने रिकॉर्ड के आधार पर तालाबों की जानकारी भेजी है। जबकि आरटीआई के तहत हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार आधे से ज्यादा तालाब अब मौके पर नहीं है। इसकी वजह से तालाबों को पाटकर कॉलोनी, कॉम्प्लेक्स अथवा झुग्गी बसाने वालों को साफ बच निकलने का मौका मिल जाएगा।
राजस्व अमला बेचैन
कोर्ट के संज्ञान लेने के कारण सभी राज्यों का राजस्व अमला बेचैन है। जब-जब भी कोई राज्य अपना शपथ-पत्र कोर्ट में प्रस्तुत करता है तब राज्य के प्रतिनिधि के तौर पर एक अधिकारी को वहां हाजिरी लगानी होती है। हालांकि, राज्य की ओर से अब भी कुछ जिलों की जानकारी नहीं भेजी गई। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की ओर से सौंपे गए शपथ-पत्र में ढाई लाख एकड़ जमीन पर कब्जे स्वीकार किए गए हैं। साथ ही इन्हें वापस कब्जामुक्त करने की कारगर नीति तैयार की जा रही है।
लगाएंगे याचिका
सामाजिक संगठन इस मामले में पहल करेंगे। पट चुके तालाबों को कब्जामुक्त कराने के सम्बंध में हाईकोर्ट में याचिका लगाएंगे। संगवारी संस्था के राकेश चौबे का कहना है कि निस्तार की जमीन को भू-माफिया के चंगुल से मुक्त कराना जरूरी है।
तालाबों को पाटे जाने के सम्बंध में फिजिकल वैरिफिकेशन कराया जाएगा। जो कब्जा अनधिकृत पाया जाएगा, उसको हटाने अथवा तालाबों को उनके वास्तविक स्वरूप में लाने की प्रक्रिया की जाएगी।
सुनील कुजूर, प्रमुख सचिव, राजस्व
गोविंद ठाकरे (राजस्थान पत्रिका रायपुर से साभार)
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