Tuesday, June 28, 2011

कागजों में तालाब, जमीन पर सूखा

रायपुर। निस्तार की भूमि के कब्जों पर सख्त सुप्रीमकोर्ट को तालाबों की स्थिति के बारे में आधी-अधूरी जानकारी भेजी गई है। राज्य शासन ने सुप्रीमकोर्ट को जो शपथ-पत्र भेजा है, उसमें रायपुर समेत प्रदेश के ज्यादातर तालाब पूर्ववत और खरे दर्शाए गए हैं। लेकिन, सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत निकाले गए पटवारी रिकॉर्ड से इसकी पोल खुल गई। बानगी के तौर पर, रायपुर शहर के 31 सरकारी तालाबों में से 14 का पूरी तरह से अस्तित्व खत्म हो चुका है। बचे हुए आधे से ज्यादा तालाब पट चुके हैं। छह निजी तालाबों में से भी दो पट चुके हैं। राज्य के अन्य जिलों के तालाबों की हालत भी कमोबेश यही है।

जमीन के पुराने दस्तावेजों

और पटवारी के मौजूदा रिकॉर्ड में तालाबों पर कब्जों की स्थिति में बड़ा अंतर है। भू-माफियाओं ने तालाबों को खत्म करने का कुत्सित प्रयास किया। फिर भी शासन उनके बचाव में खड़ा है। सुप्रीमकोर्ट को भेजे गए ब्योरे में गलत जानकारी दी गई है।

शासन ने 1934 और उसके बाद के पुराने रिकॉर्ड के आधार पर तालाबों की जानकारी भेजी है। जबकि आरटीआई के तहत हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार आधे से ज्यादा तालाब अब मौके पर नहीं है। इसकी वजह से तालाबों को पाटकर कॉलोनी, कॉम्प्लेक्स अथवा झुग्गी बसाने वालों को साफ बच निकलने का मौका मिल जाएगा।

राजस्व अमला बेचैन

कोर्ट के संज्ञान लेने के कारण सभी राज्यों का राजस्व अमला बेचैन है। जब-जब भी कोई राज्य अपना शपथ-पत्र कोर्ट में प्रस्तुत करता है तब राज्य के प्रतिनिधि के तौर पर एक अधिकारी को वहां हाजिरी लगानी होती है। हालांकि, राज्य की ओर से अब भी कुछ जिलों की जानकारी नहीं भेजी गई। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की ओर से सौंपे गए शपथ-पत्र में ढाई लाख एकड़ जमीन पर कब्जे स्वीकार किए गए हैं। साथ ही इन्हें वापस कब्जामुक्त करने की कारगर नीति तैयार की जा रही है।

लगाएंगे याचिका

सामाजिक संगठन इस मामले में पहल करेंगे। पट चुके तालाबों को कब्जामुक्त कराने के सम्बंध में हाईकोर्ट में याचिका लगाएंगे। संगवारी संस्था के राकेश चौबे का कहना है कि निस्तार की जमीन को भू-माफिया के चंगुल से मुक्त कराना जरूरी है।

तालाबों को पाटे जाने के सम्बंध में फिजिकल वैरिफिकेशन कराया जाएगा। जो कब्जा अनधिकृत पाया जाएगा, उसको हटाने अथवा तालाबों को उनके वास्तविक स्वरूप में लाने की प्रक्रिया की जाएगी।
सुनील कुजूर, प्रमुख सचिव, राजस्व

गोविंद ठाकरे (राजस्थान पत्रिका रायपुर से साभार)

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