Thursday, June 30, 2011

सोनिया गांधी की यात्रा का खर्च 1850 करोड़

इतना खर्चा तो प्रधानमंत्री का भी नहीं है : पिछले तीन साल में सोनिया की सरकारी ऐश का सुबूत, सोनिया गाँधी के उपर सरकार ने पिछले तीन साल में जीतनी रकम उनकी निजी बिदेश यात्राओ पर की है उतना खर्च तो प्रधानमंत्री ने भी नहीं किया है ..एक सुचना के अनुसार पिछले तीन साल में सरकार ने करीब एक हज़ार आठ सौ अस्सी करोड रूपये सोनिया के विदेश दौरे के उपर खर्च किये है ..कैग ने इस पर आपति भी जताई तो दो अधिकारियो का तबादला कर दिया गया .
अब इस पर एक पत्रकार रमेश वर्मा ने सरकार से आर टी आई के तहत निम्न जानकारी मांगी है :
1. सोनिया के उपर पिछले तीन साल में कुल कितने रूपये सरकार ने उनकी विदेश यात्रा के लिए खर्च की है ?
2. क्या ये यात्राये सरकारी थी ?
3. अगर सरकारी थी तो फिर उन यात्राओ से इस देश को क्या फायदा हुआ ?
4. भारत के संबिधान में सोनिया की हैसियत एक सांसद की है तो फिर उनको प्रोटोकॉल में एक राष्ट्रअध्यछ का दर्जा कैसे मिला है ?
5. सोनिया गाँधी आठ बार अपनी बीमार माँ को देखने न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में गयी जो की उनकी एक निजी यात्रा थी फिर हर बार हिल्टन होटल में चार महगे सुइट भारतीय दूतावास ने क्यों सरकारी पैसे से बुक करवाए ?
6. इस देश के प्रोटोकॉल के अनुसार सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही विशेष विमान से अपने लाव लश्कर के साथ विदेश यात्रा कर सकते है तो फिर एक सांसद को विशेष सरकारी विमान लेकर विदेश यात्रा की अनुमति क्यों दी गयी ?
7. सोनिया गाँधी ने पिछले तीन साल में कितनी बार इटली और वेटिकेन की यात्राये की है ?
मित्रों कई बार कोशिश करने के बावजूद भी जब सरकार की ओर से कोई जबाब नहीं मिला तो थक हारकर केंद्रीय सुचना आयोग में अपील करनी पड़ी.
केन्द्रीय सूचना आयोग प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय के गलत रवैये से हैरान हो गया .और उसने प्रधानमंत्री के उपर बहुत ही सख्त टिप्पडी की
1. केन्द्रीय सूचना आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर उस पर खर्च हुए पैसे को सार्वजनिक करने को कहा है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को इसके निर्देश भी दिए हैं। हिसार के एक आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से सोनिया गांधी के विदेशी दौरों, उन पर खर्च, विदेशी दौरों के मकसद और दौरों से हुए फायदे के बारे में जानकारी मांगी है।
2. 26 फरवरी 2010 को प्रधानमंत्री कार्यालय को वर्मा की याचिका मिली, जिसे पीएमओ ने 16 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय को भेज दिया। 26 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय ने याचिका को संसदीय कार्य मंत्रालय के पास भेज दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय के इस ढ़ीले रवैए पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सूचना आयुक्त सत्येन्द्र मिश्रा ने निर्देश दिया कि भविष्य में याचिका की संबंधित मंत्रालय ही भेजा जाए। वर्मा ने पीएमओ के सीपीआईओ को याचिका दी थी। सीपीआईओ को यह याचिका संबंधित मंत्रालय को भेजनी चाहिए थी।
आखिर सोनिया की विदेश यात्राओ में वो कौन सा राज छुपा है जो इस देश के ” संत ” प्रधानमंत्री इस देश की जनता को बताना नहीं चाहते ? !

Wednesday, June 29, 2011

सूचना नहीं दी, जुर्माना

रायपुर। आरटीआई कार्यकर्ताओं को सूचना नहीं देने की शिकायत को मुख्य सूचना आयुक्त सरजियस मिंज ने गंभीरता से लिया। जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पर सात हजार रूपए का अर्थदंड लगाया है। इतना ही नहीं उन्होंने अपील करने वाले को अपने सामने सूचना उपलब्ध कराई।

 जगदीश जैन ने जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और जनसूचना अधिकारी से मांगी थी। राज्य सूचना आयोग में अपील  के दौरान जन सूचना अधिकारी उपस्थित नहीं हुए और जानकारी भी नहीं दी। साथ ही कारण बताओ नोटिस का  जवाब नहीं दिया। आयोग ने सात हजार रूपए का जुर्माना ठोंका। साथ ही तत्काल अपीलार्थी को मांगी गई सूचना उपलब्ध कराई गई।

सरायपाली के खम्हारपाली परिवहन चेक पोस्ट के प्रभारी अधिकारी के खिलाफ पांच हजार रूपए का अर्थदंड पारित किया है। साथ ही दस दिन के भीतर सही जानकारी उपलब्ध करने के निर्देश दिए हैं। अपीलार्थी हाजी मोहम्मद रफीक ने चेक पोस्ट के जरिए वाहनों के विरूद्ध की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें आधी-अधूरी और भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराई।

Tuesday, June 28, 2011

कागजों में तालाब, जमीन पर सूखा

रायपुर। निस्तार की भूमि के कब्जों पर सख्त सुप्रीमकोर्ट को तालाबों की स्थिति के बारे में आधी-अधूरी जानकारी भेजी गई है। राज्य शासन ने सुप्रीमकोर्ट को जो शपथ-पत्र भेजा है, उसमें रायपुर समेत प्रदेश के ज्यादातर तालाब पूर्ववत और खरे दर्शाए गए हैं। लेकिन, सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत निकाले गए पटवारी रिकॉर्ड से इसकी पोल खुल गई। बानगी के तौर पर, रायपुर शहर के 31 सरकारी तालाबों में से 14 का पूरी तरह से अस्तित्व खत्म हो चुका है। बचे हुए आधे से ज्यादा तालाब पट चुके हैं। छह निजी तालाबों में से भी दो पट चुके हैं। राज्य के अन्य जिलों के तालाबों की हालत भी कमोबेश यही है।

जमीन के पुराने दस्तावेजों

और पटवारी के मौजूदा रिकॉर्ड में तालाबों पर कब्जों की स्थिति में बड़ा अंतर है। भू-माफियाओं ने तालाबों को खत्म करने का कुत्सित प्रयास किया। फिर भी शासन उनके बचाव में खड़ा है। सुप्रीमकोर्ट को भेजे गए ब्योरे में गलत जानकारी दी गई है।

शासन ने 1934 और उसके बाद के पुराने रिकॉर्ड के आधार पर तालाबों की जानकारी भेजी है। जबकि आरटीआई के तहत हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार आधे से ज्यादा तालाब अब मौके पर नहीं है। इसकी वजह से तालाबों को पाटकर कॉलोनी, कॉम्प्लेक्स अथवा झुग्गी बसाने वालों को साफ बच निकलने का मौका मिल जाएगा।

राजस्व अमला बेचैन

कोर्ट के संज्ञान लेने के कारण सभी राज्यों का राजस्व अमला बेचैन है। जब-जब भी कोई राज्य अपना शपथ-पत्र कोर्ट में प्रस्तुत करता है तब राज्य के प्रतिनिधि के तौर पर एक अधिकारी को वहां हाजिरी लगानी होती है। हालांकि, राज्य की ओर से अब भी कुछ जिलों की जानकारी नहीं भेजी गई। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की ओर से सौंपे गए शपथ-पत्र में ढाई लाख एकड़ जमीन पर कब्जे स्वीकार किए गए हैं। साथ ही इन्हें वापस कब्जामुक्त करने की कारगर नीति तैयार की जा रही है।

लगाएंगे याचिका

सामाजिक संगठन इस मामले में पहल करेंगे। पट चुके तालाबों को कब्जामुक्त कराने के सम्बंध में हाईकोर्ट में याचिका लगाएंगे। संगवारी संस्था के राकेश चौबे का कहना है कि निस्तार की जमीन को भू-माफिया के चंगुल से मुक्त कराना जरूरी है।

तालाबों को पाटे जाने के सम्बंध में फिजिकल वैरिफिकेशन कराया जाएगा। जो कब्जा अनधिकृत पाया जाएगा, उसको हटाने अथवा तालाबों को उनके वास्तविक स्वरूप में लाने की प्रक्रिया की जाएगी।
सुनील कुजूर, प्रमुख सचिव, राजस्व

गोविंद ठाकरे (राजस्थान पत्रिका रायपुर से साभार)

Sunday, June 26, 2011

आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या

नियामत अंसारी अपने क्षेत्र में मनरेगा में धांधली उजागर की थी.
झारखंड के लातेहार ज़िले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना यानि मनरेगा को लागू करने के लिए काम कर रहे एक आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई है.

नियामत अंसारी नाम के इस कार्यकर्ता को घर से निकालने के बाद पीटा गया जिसके बाद घायल नियामत अली के अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई.
ख़बरों के अनुसार नियामत अंसारी जानेमाने अर्थशास्त्री जॉं ड्रेज़ के क़रीबी सहयोगी थे.
ड्रेज़ उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने मनेरगा का खाका तैयार किया था.
सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना ग्रामीण क्षेत्रों में ग़रीबों को एक साल में सौ दिन का काम देने की गांरटी देती है.

कहा जा रहा है कि अंसारी और ड्रेज़ ने मिलकर लातेहार के रांकीकाला इलाक़े में मनेरगा में धांधली का पर्दाफ़ाश किया था जिसके बाद मेनिका के पूर्व बीडीओ कैलाश साहू से कथित तौर पर दो लाख रुपए बरामद किए गए थे.
इस बरामदगी के बाद पुलिस में एफ़आईआर दर्ज करवाया गया था.

कुछ स्थानीय अख़बारों में नियामत अंसारी की हत्या के पीछे वामपंथी चरमपंथियों का हाथ बताया जा रहा है.

नंबरदार के डर से गांव छोड़ा!

फतेहाबाद

किरढ़ान गांव के एक आरटीआई कार्यकर्ता जीतराम को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेना महंगा पड़ गया। उसका परिवार गांव छोडऩे पर मजबूर हो गया है। अब जीत राम घर में अकेला रह रहा है। उसकी पत्नी बिमला, पुत्री अलका, पुत्र अंगद व पुत्रवधु सुमित्रा इतने सहमें हुए हैं कि रिश्तेदारों के यहां छिप रहे हैं। गांव के लोग कुछ भी बोलने से गुरेज कर रहे हैं। सरपंच दोनों पक्षों का निजी मामला बताते हुए खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं।

गांव में मिट्टी के बर्तन बना कर अपने परिवार का गुजारा करने वाले जीतराम ने सूचना के अधिकार के तहत कुछ जानकारियां लीं, जिसके बाद प्रशासन को शिकायत दी। प्रशासन ने शिकायत पर गनंबरदार भगतराम के कब्जे से तीन एकड़ पंचायती जमीन छुड़वा ली थी। इस जमीन पर 30 वर्षों से भगतराम ने कब्जा कर रखा था। जीतराम ने कहा कि कब्जे से पंचायती आय को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई भी भगतराम से कराई जाए। भगतराम ने अपने मकान के साथ लगते बिजली विभाग के एक प्लाट व इमारत को भी घरेलू कार्यों के लिए इस्तेमाल कर रहा था। इसकी भी जीत राम ने सूचना के अधिकार के तहत सारी जानकारी मांग ली, जिसके बाद से जीत राम व भगतराम में तनातनी चल रही है।

जीतराम के अनुसार कार्रवाई से खफा भगत राम ने गत 6 फरवरी को उस पर कुछ लोगों के साथ जानलेवा हमला भी कराया था। तब गांव के बस अड्डे के पास बने शराब के ठेके पर काम करने वाले अशोक कुमार व पवन कुमार ने उसे बचाया था। झगड़े की शिकायत थाने में की तो थाना प्रभारी ने भी सुनवाई नहीं की। वह एसपी को भी शिकायत कर चुका है। उसने बताया कि उसके परिवार को नंबरदार धमकियां दे रहा है। असुरक्षित महसूस करते हुए पत्नी बिमला देवी, पुत्री अलका, पुत्र अंगद तथा पुत्रवधु सुमित्रा गांव छोड़ चुके हैं।

आरोप बेबुनियाद

मामले को लेकर मैं कानूनी तरीके से लड़ाई लड़ूंगा। जीतराम पर मैने कोई हमला नहीं किया। हमले और धमकी के आरोप सरासर बेबुनियाद हैं। बेवजह मुझे बदनाम किया जा रहा है। ""

भगतराम, नंबरदार

मैं क्या कर सकता हूं

जीत राम के परिजनों ने गांव छोड़ा है या नहीं, मुझे कैसे पता चलेगा। गांव में साढ़े चार हजार वोट हैं। मैं किस-किस का ध्यान रखूंगा। झगड़े के डर से कोई घर छोड़ चला जाए तो मैं क्या कर सकता हूं। ""

संपत भादू, सरपंच, गांव किरढ़ान

मामले की जांच आईओ रणधीर सिंह कर रहे हैं। झगड़ा गांव के बस अड्डे पर हुआ था। जीत राम के हक में किसी ने भी गवाही नहीं लिखवाई है। निष्पक्ष कार्रवाई करेंगे।""

निर्मल सिंह, थाना प्रभारी, भट्टू

आरटीआई के इस्तेमाल पर पत्रकार को तहसीलदार ने फंसाया

: फर्जी केस दर्ज कराया : हाथ पैर तुड़वाकर जेल भेजने की दी धमकी :
सूचना है कि पत्रकार मनोज तिवारी निवासी बचैया बहोरीबंद जिला कटनी ने
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एक आवेदन 2 अप्रैल 2011 को बहोरीबंद
तहसीलदार को भेजा था. आवेदक ने वर्ष 2008 से वर्ष 2010-2011 तक बहोराबंद
तहसील की समस्त पंचायतों के गरीबी रेखा एवं अति गरीबी रेखा के अन्तर्गत
जीवन यापन करने वाले हितग्राहियों की सूची उपलब्ध कराने की मांग की थी.

आवेदक मनोज तिवारी ने बताया कि उक्त आवेदन
की पेशी तहसीलदार ने 19 अप्रैल को मुकर्रर की थी और जब वह पेशी पर उपस्थित
हुआ तो तहसीलदार ने दूसरे दिन 20 अप्रैल को बुलाया. किन्तु मांगी गई
जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई. बताया जाता है कि बहोरीबंद तहसील की ग्राम
पंचायत बचैया में इस तहसीलदार ने कई धनी लोगों को गरीबी रेखा की सूची में
डाल दिया है. आवेदक ने इसकी शिकायत कटनी जिला कलेक्टर को प्रेषित की है
जिसकी जांच शुरू हो गई है.

3 मई को आवेदक बहोरीबंद तहसीलदार से उक्त
जानकारी के संदर्भ में बात करने पहुंचा तो वह आवेदक को देखते ही तिलमिला
उठा और गुण्डागर्दी पर उतर आये. उन्होंने पत्रकार को हाथ पैर तुड़वाकर जेल
भेजने की धमकी दी. बाद में बौखलाये तहसीलदार हेमकरण धुर्वे ने पत्रकार पर
फर्जी केस दर्ज करवा दिया. तहसीलदार की धमकी से भयभीत पत्रकार ने इसकी
शिकायत उच्चाधिकारियों, थाना प्रभारी एवं शिवराज सिंह चौहान के यहां की.
पत्रकार ने हलफनामा भेजकर आरोपी हेमकरण ध्रुर्वे तहसीलदार बहोरीबंद के
खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. पत्रकार ने शपथ पत्र में कहा है कि
ध्रुर्वे जानमाल पर हमला करवा सकता

पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप

बाड़मेर। आरटीआई कार्यकर्ता मंगलाराम मेघवाल के हाथ पैर तोड़ने एवं इन्द्रा मेघवाल के रहवासी मकान को फर्जी पट्टे से कब्जे मे लेने की कोशिश करने के मामले नामजद आरोपियों को पुलिस अधीक्षक पर बचाने का आरोप दलित अत्याचार निवारण समिति ने लगाया है। समिति के संयोजक ने बताया कि कलक्ट्रेट के बाहर 24 दिन से उक्त दोनो मामलों को लेकर धरना दिया जा रहा है। स्वयं पीडित अपने परिजनों सहित धरने पर है, लेकिन पुलिस अधीक्षक आरोपियों को संरक्षण दे रहे हंै।

पुराने कार्य करने का आरोप
दलित अत्याचार निवारण समिति ने जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर बताया कि सामाजिक अंकेक्षण दौरान विशेष जांच दल ने बामणोर ग्राम पंचायत में बिना काम करवाए भुगतान उठाने के जो मामले उजागर किए थे उसमें कार्यवाही से बचने के लिए सरपंच रातो रात अधूरे कार्यो को पूरा करवाने की कार्यवाही कर रहा है। उन्होंने सरपंच को आनन फानन में काम करवाने से रोकने एवं तत्काल एफआईआर दर्ज करवाने की मांग कलक्टर से की।